समाजवाद के प्रखर नेता शरद यादव का निधन हो गया. उन्होंने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में गुरुवार की शाम आखिरी सांस ली
समाजवाद के प्रखर नेता शरद यादव का निधन हो गया. उन्होंने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में गुरुवार की शाम आखिरी सांस ली. शरद यादव जदयू के पूर्व अध्यक्ष रहे और 7 बार लोकसभा के सांसद चुने गए. इतना ही नहीं, अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को लागू किया था, उसके पीछे भी शरद यादव की अहम भूमिका थी
समाजवाद की एक बुलंद आवाज गुरुवार रात खामोश हो गई. जनता दल परिवार की सियासत के पुरोधा रहे शरद यादव का 75 साल की उम्र में निधन हो गया. पांच दशक के सियासी जीवन में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव भरे दौर देखे हैं, लेकिन सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में कभी कोई नरमी नहीं आई. देश की राजनीति में शरद यादव के राजनीतिक कद और योगदान का अंदाजा आज की पीढ़ी को भले ही न हो, लेकिन गैर-कांग्रेसी सरकारों में वो सत्ता की धुरी माने जाते रहे. 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह पर मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए दबाव बनाने वालों में शरद यादव प्रमुख थे.
मध्य प्रदेश के होशांगाबाद में जुलाई, 1947 में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और सियासत में कदम रखा. वह लोहिया और जेपी के समाजवादी विचारों से प्रभावित थे. वह जेपी के पहले शिष्य थे, जो 1974 में ही लोकसभा सांसद बन गए थे, वह जनता दल की सियासत के चाणक्य कहलाते थे.
अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को लागू किया था, उसके पीछे भी शरद यादव की भूमिका थी. वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को यूं ही लागू नहीं कर दिया था. दावा है कि शरद यादव ने मौके की नजाकत को समझते हुए प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए लागू कराया था. देश में मंडल कमीशन लागू होने की दास्तान काफी दिलचस्प है. मंडल कमीशन को लागू करने को कुछ लोग वीपी सिंह का जल्दबाजी में लिया गया राजनीतिक फैसला बताते हैं. इसके पीछे दलील यह दी जाती है कि तत्कालीन उपप्रधानमंत्री देवी लाल के इस्तीफे के बाद पार्टी सांसदों का समर्थन बरकरार रखने के लिए वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया था.
ओबीसी नेताओं ने बनाया था मंडल कमीशन लागू करने का दबाव
दिसंबर 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी, जिसमें ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता शरद यादव से लेकर दलित नेता रामविलास पासवान तक शामिल थे. लालू प्रसाद यादव से लेकर मुलायम सिंह यादव जनता दल में काफी पावरफुल थे. ऐसे में वीपी सिंह की सरकार बनते ही ओबीसी नेताओं ने मंडल कमीशन पर आगे बढ़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था. 25 दिसंबर 1989 को उन्होंने इसके लिए एक ‘एक्शन प्लान’ का ऐलान किया और पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए देवीलाल की अगुआई में एक कमेटी का गठन किया.
वीपी सिंह और देवीलाल के बीच सियासी टकराव
वीपी सिंह की सरकार बने कुछ ही दिन हुए थे कि वीपी सिंह और देवीलाल के बीच सियासी टकराव शुरू हो गए. इसी दौरान हरियाणा में मेहम कांड और कुछ अन्य बिंदुओं पर देवीलाल से वीपी सिंह की खटपट कुछ इस कदर बढ़ गई थी कि सरकार पर खतरा मंडराने लगा. देवीलाल ने सरकार से किनारा कर लिया और सरकार गिराने की तैयारियां शुरू हो गईं. देवीलाल ने अपना शक्ति-प्रदर्शन करने के लिए एक विशाल रैली रखी, जिसमें वह जनता दल के अपने समर्थक नेताओं को जुटा रहे थे.
वीपी सिंह ने फोन कर कही थी ये बात
वीपी सिंह के जीवन पर लिखी गई किताब ‘The DISRUPTOR: How Vishwanath Pratap Singh Shook India’ में शरद यादव को वीपी सिंह ने फोन कर जब देवीलाल को हटाने की जानकारी दी, तो शरद यादव ने कहा कि सुबह मिलकर बात करता हूं. शरद यादव को देवीलाल भी अपने साथ मिलाना चाहते थे और वीपी सिंह भी अपने साथ रोके रखना चाहते थे. मौके की सियासी नजाकत को समझते हुए शरद यादव ने वीपी सिंह के सामने एक शर्त रख दी कि या तो रैली से पहले मंडल कमीशन लागू कीजिए, नहीं तो हम देवीलाल जी के साथ अपनी पुरानी यारी निभाएंगे.
जनता दल में फूट पर शरद यादव ने लिया था ये फैसला
वीपी सिंह ने अपनी सरकार पर मंडराते खतरे और मध्यावधि चुनाव की आशंका को देखते हुए शरद यादव की बात को मान लिया और 7 अगस्त 1990 को सरकारी नौकरियों में ओबीसी समुदाय के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने की घोषणा कर दी. वीपी सिंह सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री रहे शरद यादव के मुताबिक किताब में लिखा गया है कि वीपी सिंह ने मजबूरी में फैसला लिया था. जनता दल में फूट होने पर शरद यादव देवीलाल के साथ नहीं गए, जबकि जनता दल बनने से पहले वह देवीलाल के साथ लोकदल में थे.
‘मंडल कमीशन को गर्दन पकड़कर लागू करवाया’
शरद यादव के हवाले से ‘The DISRUPTOR: How Vishwanath Pratap Singh Shook India’ में लिखा गया है कि हम दोनों ही (शरद यादव और वीपी सिंह) मंडल कमिशन की रिपोर्ट को लेकर प्रतिबद्ध थे, लेकिन वीपी सिंह आरक्षण को तत्काल लागू करने को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं थे. लेकिन मैंने उनसे कहा- अगर आप चाहते हैं कि लोकदल (बी) के सांसद आपके साथ बने रहें तो आपके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. आप या तो इसे लाइए या फिर हम देवीलाल (उप प्रधानमंत्री जिन्होंने सिंह के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया था) के साथ चले जाएंगे. किताब में दावा है कि देश में मंडल कमीशन को उनसे गर्दन पकड़कर लागू करवाया गया था.