पद्मश्री विजेता Saalumarada Thimmakka ने पर्यावरण के लिए समर्पित की अपनी जिंदगी, लगाए 8000 से ज्यादा पौधे
पद्मश्री विजेता Saalumarada Thimmakka ने पर्यावरण के लिए समर्पित की अपनी जिंदगी, लगाए 8000 से ज्यादा पौधे पद्मश्री विजेता और पर्यावरण के लिए अपनी जिंदगी डेडिकेट करने वाली Saalumarada Thimmakka की दिलचस्प कहानी जानिए |
इस साल पद्मश्री सम्मान के 112 विजेताओं में से 5 कर्नाटक से हैं। और इन पांच विजेताओं में से एक हैं कर्नाटक की saalumarada Thimmakkal saalumarada कर्नाटक की सबसे उम्रदराज पर्यावरणविद् हैं। पद्मश्री से पहले भी उन्हें कई सम्मानों नवाजा जा चुका है।
पौधों को समर्पित कर दी अपनी जिंदगी
दक्षिण भारत का बच्चा-बच्चा साल्लुमरादा टिकम्मा के नाम से वाकिफ है। साल्लुमरादा टिकम्मा ने धर मां की रक्षा के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी और उनके इसी समर्पण का नतीजा है कि उन्हें पद्मश्री से नवाजा जाएगा। साल्लुमरादा ने पिछले 66 सालों में 8000 से ज्यादा पौधे लगाए हैं, जिसमें बरगद के पेड़ 400 से ज्यादा हैं। रिकॉर्ड पेड़ लगाने के वजह से ही साल्लुमादा टिकम्मा को यह नाम मिला है, जिसका अर्थ है ‘पेड़ों की एक कतार ।
जब Saalumarada को बच्चे नहीं हुए, तो उन्हें अपने ससुराल में काफी ताने सुनने को मिले थे, लेकिन उन्होंने अपनी संतान ना होने की कमी दूसरी तरह से पूरी की, जो भारत और पूरी दुनिया के लिए काफी इंस्पायरिंग है saalumarada ने अपने पति के साथ मिलकर रामनगर डिस्ट्रिक्ट के हुलीकल और कुडूर तालुक के बीच बर्गद के पेड़ लगाए और बच्चों की तरह उनकी देखभाल करनी शुरू की।
सबसे इंस्पायरिंग बात ये है कि saalumarada ने इसके लिए खुद पैसे खर्च किए और पौधों की दिन-रात देखरेख की। saalumarada के पति उनके साथ पौधों को पानी देने के लिए आया करते थे। साल 1991 में उनके पति की मौत हो गई, लेकिन अपनी इस नेक काम को उन्होंने पति की मौत के बाद भी जारी रखा।
saalumarada अपने इस प्रयास के लिए काफी चर्चित हुईं। बीबीसी की 100 मोस्ट इंफ्लुएंशियल लिस्ट में उनका नाम शुमार किया गया। इस लिस्ट में वर्ल्ड फेमस Girl On The Train की लेखिका पॉला हॉकिन्स, भारतीय बिजनेस वुमन मल्लिका श्रीनिवासन,
जिन्होंने अपनी फैमिली कंपनी को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ट्रैक्टर मैन्यूफैक्चरर कंपनी में तब्दील किया, बॉलीवुड की चर्चित एक्ट्रेस सनी लियोनी के नाम शामिल हैं।
‘मां को मिले सम्माननीय जीवन’
saalumarada के बेटे उमेश का कहना है, ‘हमारी मां को जो प्रतिष्ठा मिली है, उससे हम खुश हैं। उन्होंने पिछले 7 दशकों में जो प्रयास किए हैं, उसके लिए उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए। अवॉर्ड से ज्यादा सरकार को उन्हें एक सम्माननीय जीवन देने के लिए मदद करनी चाहिए।’ saalumarada का परिवार अपनी जीविका उन पैसों से चला रहा है, जो उन्हें निजी तौर पर उन ऑर्गनाइजेशन्स से मिलीं, जिनकी तरफ से saalumarada को सम्मानित किया गया।
हाल ही में सोशल वेलफेयर मिनिस्टर प्रियांक खड़गे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह मुख्यमंत्री के साथ इस मुद्दे पर बात करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि saalumarada को उनकी आजीविका के लिए सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।