July 27, 2024

पुतिन से मिलने रूस जा रहे जिनपिंग यूक्रेन युद्ध होगा अंत! ईरान-सऊदी दुश्मनी खत्म

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब पंच की भूमिका में दुनिया के सामने आ रहे हैं। सऊदी अरब और ईरान के बीच वर्षों पुरानी दुश्मनी को खत्म करने के बाद जिनपिंग ने यूक्रेन में युद्धविराम के एजेंडे को आगे बढ़ाया है।

इस मिशन को पूरा करने के लिए वह अगले हफ्ते मॉस्को के दौरे पर जा रहे हैं।

दुनिया की दो बड़ी ताकत जिनपिंग और पुतिन के इस मिलन पर सबकी निगाहें टिकी हैं. मुस्लिम जगत के दो बड़े देशों ईरान और सऊदी अरब के बीच सालों की दुश्मनी खत्म करने के बाद अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नए मिशन पर हैं। शी जिनपिंग अब यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल करने जा रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति सोमवार को दो दिवसीय रूस दौरे पर रवाना हो रहे हैं।
एक साल से अधिक समय से युद्ध की भयावहता झेल रहे यूक्रेन समेत पूरी दुनिया के लिए यह एक बड़ी खबर है। यूक्रेन का युद्ध रूसी राष्ट्रपति पुतिन की महत्वाकांक्षाओं का युद्ध हो सकता है, लेकिन भारत समेत पूरी दुनिया इससे प्रभावित हुई है. इसलिए, पूरी दुनिया यूक्रेन युद्ध में सफलता की प्रतीक्षा कर रही है। इसलिए शी जिनपिंग की इस यात्रा का बड़ा कूटनीतिक और सामरिक महत्व है।

जिनपिंग 20 से 22 मार्च तक रूस के दौरे पर हैं

शी जिनपिंग की यात्रा की घोषणा चीन के विदेश मंत्रालय ने की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनियांग ने एक बयान जारी कर कहा, “राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर 20 से 22 मार्च तक रूस की राजकीय यात्रा करेंगे।”

विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा के बारे में और कोई जानकारी नहीं दी। हालाँकि, राजनयिक हलकों में इस बात की प्रबल चर्चा है कि बीजिंग यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए शांति वार्ता शुरू कर सकता है। यहां यह बताना जरूरी है कि पुतिन और जिनपिंग के बीच काफी अच्छे संबंध हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जिनपिंग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस दौरे का सामरिक महत्व क्या है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए रूस को चुना है. चीन के राष्ट्रपति बनने के अलावा चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने उन्हें सेना प्रमुख के रूप में भी चुना है।

सऊदी अरब-ईरान से दोस्ती के बाद चीन नए डिप्लोमैटिक मिशन पर

आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही बीजिंग ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में ऐसी डील की, जिससे अमेरिका समेत पूरी दुनिया हैरान रह गई। पश्चिम एशिया के दो बड़े देशों बीजिंग, सऊदी अरब और ईरान में 4 दिनों तक चली कई दौर की गुप्त बैठक के बाद ऐलान किया गया कि वे लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी को खत्म कर बातचीत का रास्ता अपना रहे हैं. 2011 में अरब स्प्रिंग के बाद से इन दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है।

गौरतलब है कि शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल सऊदी अरब के बीच सालों से दुश्मनी चल रही थी। इन दोनों देशों के बीच हालत ऐसी थी कि आज भी इनके एक दूसरे देश में दूतावास नहीं हैं।

लेकिन चीन ने अपनी कूटनीतिक धमकियों का इस्तेमाल करते हुए न सिर्फ इन दोनों देशों को बातचीत की टेबल पर लाया बल्कि शांति समझौता करवाने में भी कामयाब रहा. कहा जा सकता है कि चीन इस शांति समझौते को लागू करने के लिए दोनों देशों का गारंटर बना।

अब जिनपिंग की पुतिन-जेलेंस्की के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश

कूटनीति की दुनिया में तख्तापलट माने जाने वाले इस शांति समझौते के बाद चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग अपनी आर्थिक और कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए करना चाहते हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि जिनपिंग अपने मित्र पुतिन से इस युद्ध के कई पहलुओं पर चर्चा करेंगे. ऐसी अटकलें हैं कि पिछले 10 वर्षों से पुतिन के घनिष्ठ मित्र शी यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता शुरू करने का प्रयास कर सकते हैं।

माना जा रहा है कि शी जिनपिंग जल्द से जल्द यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से भी फ़ोन पर बात कर सकते हैं और इस शांति वार्ता की घोषणा कर सकते हैं.

रूस की शक्ति के केंद्र केमलिन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों नेता “रूस-चीन व्यापक साझेदारी और रणनीतिक संवाद संबंधों के भविष्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे।” क्रेमलिन के मुताबिक इस यात्रा के दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तखत होंगे.

अमेरिकी दादागीरी को दरकिनार कर जिनपिंग कूटनीतिक फैसले ले रहे हैं

गौरतलब है कि जिनपिंग का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन युद्ध के खत्म होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. पश्चिमी देशों के सहारे यूक्रेन मोर्चा संभाले हुए है, इसलिए तमाम नुकसान झेलने के बावजूद पुतिन पीछे हटने को तैयार नहीं हैं .की इस कोशिश को अमेरिकी दादागीरी का जवाब भी माना जा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका भी ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव खत्म करने की कोशिश करता रहा, लेकिन ‘ट्रस्ट डेफिसिट’ (भरोसे की कमी) के चलते वह अपने इस मिशन में सफल नहीं हो सका। जबकि चीन यही काम करने में सफल रहा। इसलिए यूक्रेन युद्ध को लेकर चीन की भूमिका से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *